"ना परवा हैं ,ना पछुआ हैं चली आज ये कौन सी हवा हैं ! दुख का बादल हैं ,नैनो का नीर हैं , दिल में आज अजीब सी पीर हैं ! सहमी सहमी सी हैं ये धरती , आसमाँ भी मौन हैं !! ज़िन्दगीं की इस नाव का खिवैया कौन हैं !! अनिता पाल
२८९ ख्वाबों ,ख्यालों और सवालों का है काफिला संग में , लोग कहते है ..... तन्हा हूँ मैं ज़िंदगी के सफर में | आगे आगे चलते है ख्वाब , संग मेरे चलते है ख्याल पीछे पीछे बहुत सारे सवाल || संभालती हूँ मैं इन्हे या ये मुझे रहे है संभाल | अनुत्तरित है आज तक ये भी सवाल || ~~अनिता पाल
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