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दिसंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
759                (1)   मैं गर्भ में मचल रही थी   इस धरा पर आने को   दादी ने मन्नत मांगी थी   मेरी माँ की कोख सजाने को | आयी जब मैं इस धरा पर घर में पसरा सन्नाटा था   वजह  जानी तो पता चला  चाहिए सबको बेटा था   सन्न रह गयी मैं यह जानकर मैं नहीं हूँ नयी मेहमान उस दिन लगा मुझे.... जैसे निकल गये प्राण ||                (2) पापा की मैं परी बन गयी माँ की बन गयी दुलारी कर ना पायी बेटों की बराबरी बन के रह गयी बस बेचारी सन्न रह गयी मैं....... जब बताया गया मुझे पराया धन सच बताऊं उस दिन खिन्न हो गया मेरा मन ||                   (3) कसमें रस्में, यादें वादे सपनों की लेकर बारात दुल्हे राजा ने थाम लिया मेरा हाथ तुम ही मेरी जिंदगी, तुम हो मेरी जान बिन तुम्हारे मेरी नहीं कोई पहचान | निभाऊंगा वादे सारे हमेशा करूंगा सम्मान बिन तुम्हारे मैं त्याग दूँगा प्राण कुछ यूँ ही दिलाया मुझे विश्वास फिर एक दिन अचानक हो आपे से बाहर कर दिया मुझ पर वार जिस हाथ को थामकर खायी थी कसमें हजार आज  उसी हाथ से कर दिया प्रहार | सन्न रह गयी मैं.... लगा जैसे खो दिया मैंने अपना स्वाभिमान उ