संदेश

सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
मेरी आँखो में मेरी सांसो में दिल की धड़कन में मन की तडपन में अगर कोई है तो वो है मेरी माँ | मेरा पहला प्यार मेरा पहला इंतजार मेरा चैन मेरा करार अगर कोई है तो वो है मेरी माँ || मेरे नैनो का नीर मेरे दिल की पीर मेरी ज़िंदगी की खुशी मेरे लबो की हंसी अगर कोई है तो वो है मेरी माँ || मेरी यादे ,मेरी फरियादे मेरी भक्ति मेरी शक्ति मेरी नजाकत मेरी ताकत अगर कोई है तो वो है मेरी माँ ||
ज़मीं -आसमां ,चाँद तारे ये सब हैं दोस्त  मेरे || घास का बनाके  तकिया , निहारा  जो मैने आसमां इश्क मुझे बादलो से हुआ || इतराती हुई आयी जब घटा सुरज दुबकने को मजबूर हुआ || प्रकृति के मनोरम सौंदर्य  को आँखो से मैने चख लिया | इठलाती हुई गुजरी जब हवा मेरे बगल से ... पता मैने उसका पूछ लिया | खिलते हुए फूलों ने देखा जो एक नजर  मुझे शरमा के सिर अपना झुका लिया | धान की सुनहरी बालियों ने मन मेरा मोह लिया || धरती का ये हरा भरा आँचल जब लहराता हैं सचमुच मन मेरा बहुत इतराता हैं | प्रकृति का किया ज़िसने अदभुत श्रृंगार उनको मेरा नमन बार बार ||
मंजिल की चाह  में मुश्किल राह में,जब हमने कदम बढ़ाये अपनों ने साथ छोड़ा गैरों ने कांटे बिछाए। ये तो हमारे इरादें ही थे जो हमें यहाँ तक ले आये, राह की दुश्वारियों से कब थे हम घबरायें। हर मुश्किल लम्हें में हम यूँ ही मुस्कराएँ। ये तो.……………………। A.P
FB-236 बहुत रोता है दिल,जब कोई सैनिक शहीद होता हैं| कोई अपना पिता तो कोई अपना बेटा खोता है|| किसी बहन की  राखी कलाई को तरसती है, तो किसी की मांग का सिंदूर मिट जाता है|| देश की  सेवा में जिन्होंने दिया अपना तन, भारत के उन अमर शहीदों को मेरा नमन|| **********अनिता पाल*********"
पिछले एक महीने से ब्लोग में कुछ नहीं लिखा हैं ,मानो कलम जंग लगी तलवार सी हो गयी पर मन मस्तिष्क रूपी सागर में विचारो और भावनाओं की लहरे उठती हैं दिल रूपी किनारों से टकराती हैं और शांत हो जाती हैं |बहुत व्यस्त हो चुकी ज़िंदगी में भी दो बार ऐसा समय आता हैं जब आईने के सामने खुद से रूबरू होते हुए खुद पर गर्व कर लेती हूँ ,अपने स्वाभिमान पर इतरा लेती हूँ  अपनी प्यारी सी मुस्कान पर रीझ लेती हूँ ,अपनी आँखो में झांक कर शरमा लेती हूँ | निशा  के पहरे में निद्रा के आगोश में कुछ ऐसे जाती हूँ की सपनों को भी अनुमति नहीं होती डिस्टर्ब करने की |अगले दिन फिर वही दिनचर्या |ठहर सी गयी ज़िंदगी में भी हलचल होती रहती हैं |ये ज़िंदगी भी कभी बिजी तो कभी ईजी |सचमुच ये ज़िंदगी बहुत  खूबसुरत हैं |
FB-138 "तफरी की तफरी " मेरा भारत यूँ ही महान नहीं हैं | एक म्यान में दो तलवारे आराम से   रखना भारत से सीखे कोई | ज्ञान और अज्ञान दोनो एक साथ प्राचीन काल से रहते आये हैं | बिहार के topper इसका ताजा उदाहरण हैं | एक और तो शिक्षा के मन्दिरो में (विद्यालयो ) में ज्ञान सफेद हाथी सा हो गया हैं दुसरी और सड़को पर दौड़ने वाले ट्रक पर लिखे स्लोगन और शायरी भी मनोरंजन और ज्ञानवर्धन करती नजर आती हैं | उससे भी ज्यादा महान तो मेरे जैसे वे अजूबे हैं जो ट्रको पर लिखे स्लोगन को पढने से नहीं चूकते |                         अभी तक आपने " बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला " या "हंस मत पगली प्यार हो जायेगा " जैसी लाइन ही ट्रक पर लिखी हुई पढ़िये होंगी ....लेकिन आज मैने 15 मिनट के ऑटो की  य़ात्रा में रास्ते में मिलने वाले ट्रको पर कुछ ऐसा पढा जो आपने अभी तक नहीं पढा होगा ... एकदम नया 😄😃| 1) रानी बना के रखना राजा बना दूँगी |(so funny ) 3)बुरी नजर वाले ,तू भी मुस्करा ले |(सर्वे भवंतु ...वाली नयी सोच ) 4) पापा घर जल्दी आना मम्मी याद करती हैं |(सबसे ज्यादा अच्छा लगा 😄) अब अन्तिम को
"प्रेम पत्र --2" माई डियर "क्रश " तुम दो साल में एक बार  मत आया करिये |मैं तो  कहती हूँ तुम सावन की तरह हर वर्ष आकर  प्रेमवर्षा से मुझे भीगो दिया करिये और पूरे भादो प्रेमाग्नि में तपा दिया करिये |साल में एक ही बार क्यूँ ???? डियर मैं तो कहती हूँ तुम ईद के चाँद की तरह साल में "दो " बार आकर मुझे हर्षा ज़ाया करो |  माई डियर क्या तुम  "तीनों "ऋतुओं में एक एक बार आकर मुझसे नहीं मिल सकते | मेरा दिल तो कहता हैं कि  पूरा चतुर्मास तुम्हारे संग ही बीते | क्या तुम पूनम के चाँद की तरह महीने में एक बार नहीं आ सकते ?????  मैं तो कहती हूँ तुम संडे की तरह हर सप्ताह आ ज़ाया करिये ||                       माई डियर क्रश तुमको आने के लिये सोलहवें बसंत का इंतजार करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं ,ज़िंदगी के तीसरे दशक में भी तुम्हारे लिये  दरवाजे  वैसे ही खुले हैं |माई डियर क्रश  हो सके तो इस बार स्थायी रूप से ही आना ....बार बार आने जाने में तुम्हे भी तकलीफ होती हैं और हर बार तुम्हारे आने के इंतजार में मुझे भी | माई डियर क्रश स्टिल वेटिंग फोर यू |😊😊
FB-228 "बूंदी का बकरा " आज सुबह सवेरे सवेरे दोनों बच्चे मेरे कमरे में आ धमके | मैं .----- ईद मुबारक बच्चो | तेजश ------ छि:छि: .....बेचारे बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं |ऐसी मुबारक मत दीजिये हमे | विलक्षण ----- ऐसा कुछ नहीं है .....रियल बकरे को ही काटा जाये| मेरा दोस्त कह रहा था कि  वे बूंदी के बकरे की कुर्बानी देते हैं | तेजश ------ बूंदी का बकरा ?????? विलक्षण ------- सबसे पहले बूंदी को बकरे की शेप में बना लेते हैं  फिर काट लेते हैं | तेजश ------- अच्छा !! मुझे लगा बूंदी और बकरा एक साथ पकाये जाते हैं | विलक्षण ----- नहीं ...ऑनली बूंदी का | वैसे अगर होली ,दिवाली ,दुर्गापूजा, गणेशपूजा की तरह इको friendly बकरीद मनानी हो तो "बलि के बकरे "को "बूंदी के  बकरे " में परिवर्तित करने वाला बच्चो का आईडिया बुरा नहीं हैं |. खैर ....बकरीद मुबारक 😊😊 #अनितापाल Anita Pal Sukhatri