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अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
"गलतफहमी " मेरी मित्रमंडली में महत्वाकांक्षी युवक - युवतियों  की बहुलता हैं | ज़िंदगी  के तीस बसंत पार सब जीवन साथी की तलाश में हैं |ये जानते हुए भी की कोईभी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता ,सब सम्पूर्ण की तलाश में हैं | एक अच्छी नौकरी वाले युवक को पढ़ी लिखी और हाउस वाइफ वधु चाहिये  और पढी लिखी लड़की हाउस वाइफ बनने को तैयार नहीं | बडी विचित्र सी स्थिति हैं | इस विचित्र स्थिति का कारण गलतफहमी हैं |                     वस्तुतःजब एक युवक ये कहता  हैं कि मुझे कुशल गृहणी चाहिये  तो उसका मतलब होता हैं कि उसे अपने कपड़े ,खाना और अन्य कार्य पूरे चाहिये ,ज्यादा से ज्यादा वो खुद की और अपने माता पिता की देखभाल को शामिल करता हैं |                 ठीक उसी तरह जब एक लड़की कहती हैं कि वो हाउस वाइफ बनकर नहीं रह सकती तो उसका ये मतलब नहीं होता कि घर के काम या परिवार के सदस्यों की देखभाल नहीं करेंगी ब्लकि उसके कहने का तात्पर्य हैं कि वो हर प्रकार की  स्वतंत्रता ( सामाजिक ,आर्थिक , राजनितिक ,मानसिक ,पारिवारिक ,शारीरिक ) चाहती हैं | और मुझे नहीं लगता किसी भी सभ्य पुरूष को महिलाओं की इन स्वतंत्रताओं पर
बुझे न किसी घर का चिराग , न उजडे किसी का सुहाग || मिट जाये सब दोष , हर दिल में हो संतोष | किसी की रात ना काली हो , सबकी खुशियों भरी दिवाली हो | मिलजुल कर मनाये ये त्यौहार , लक्ष्मी  विराजे सबके द्वार | अाओं करें एक - दुसरे  की शुभकामनायें स्वीकार || *********अनिता पाल ******†*********
FB-264 बस इतनी सी है भारतीयों की आधुनिकता प्यार मेंअपनी मर्जी और शादी में घरवालों की
FB-270 इंतजार करते है हम मेन गेट पर... और खुशियाँ बैक डोर से  दस्तक देती  है !
FB-269 उफ! ये मन भी ना !  दिन भर में 2-4 चक्कर तो लगा ही आता है सपनों की गलियों के |
"रिश्तों  की सौदेबाजी " ----------+--------------सीन एक --------+--------- एक अफसर  दूसरे अफसर से ......भाई शादी नही कर रहे हो क्या ? हां करेंगे अच्छी लडकी नहीं मिल रही है || भैया लड़की तो हम बता देंगे  मेरी बहन की ननद है | दूसरा  अफसर ....लडकी कैसी है ? पहला  अफसर .......लडकी इतनी सुन्दर है कि कोई रिजेक्ट नहीं कर सकता |उनको अफसर लडका चाहिये | दूसरा अफसर ......तो तुम क्यूँ नहीं कर लेते इतनी सुन्दर लडकी से शादी तुम भी तो अफसर हो???? अरे नहीं मैं ऐसा नहीं जैसा उनको चाहिये | पहला अफसर ......बजट कितना है उनकी फैमिली का ??? पापा और भैया सरकारी नौकर है लडकी के  और अकेली  लडकी है | दूसरा अफसर ....बस ऐसा करा देना जैसा मेरे दोस्त को मिला | मेरा दोस्त तो अच्छा खासा वसुले है  अपने ससुर जी से | दूसरा अफसर ......फिर भी कुछ आईडिया?? पहला अफसर ...बस कैश और गाडी थोड़ा ठीक ठीक करा देना | ~~~~~~~~~~~सीन दो ~~~~~~~~~ एक उच्च शिक्षित महिला दूसरी से .................. पहली------ अरे यार कहीं रिश्ता हुआ कि नहीं ???? नहीं यार एक लडका पसंद आया था बहुत स्मार्ट था  जोब भी अच्छी थी पर.....
कल तक कली थी बाबुल की बगिया की आज घर पिया का सजाने चली हूँ || छोड माँ  के आँचल की छाँव ज़िंदगी की तपिश को सहने चली हूँ || जन्म लिया जिस घर में आज वो हुआ  बेगाना तलाशने नयी जगह आशियाना चली हूँ || वर्षों बुहारा जिस आंगन को मन से सजाया जिस घर की दीवारों को आज उसको अलविदा कह चली हूँ || बनके चिडियां चहकी  कुछ दिन भैया के अंगना आज उड़के परदेश चली हूँ || खेलती थी ,खाती थी मस्ती से ईठलाती थी आज बंध पवित्र बंधन में रिश्तों की डोर थाम चली हूँ || सवाल बहुत है मन में आज सिर पर है ज़िम्मेदारियों का ताज आँखो में है आँसू लबों पे है खामोशी दस्तूर दुनियां का निभाने चली हूँ ||
"शुभ दीपावली " इस दिवाली, हर घर हो खुशहाली जले ज्ञान का दीपक रोशन हो हर गली | नंगा भूखा रहे ना कोई दूर हो सबकी तंगहाली | आओं मनाये ऐसी दिवाली || नफरत ,भेदभाव सब भूल जाये प्रेम के दीपक चहुं ओर जगमगाये | बांटे मिठाई खुशियों की रहे ना खाली किसी की भी थाली | आओं मनाये ऐसी दिवाली || छल कपट झूठ के फोडे पटाखे सब मिलकर खाये खील बताशे | खुशियो से भर जाये सबकी झोली आओं मनाये ऐसी दिवाली || ~~~~अनितापाल ~~~~~~ #Anita Pal Sukhatri
"पराये होते बेटे " शादी के बाद बेटियां परायी हो जाती हैं सब जानते हैं | शादी के बाद पराये तो बेटे भी हो ज़ाते हैं इस बात को लोग जानते हैं पर मानते नही  |बेटियों को एक दिन पराया हो जाना हैं ये बात उन्हे बचपन से ही बता दी जाती हैं और इसके लिये वे मानसिक रूप से  तैयार भी  रहती हैं लेकिन शादी के बाद जो मानसिक आघात बेटों पर पड़ता हैं उसके लिये उन्हे कोई पहले से बता कर मानसिक रूप से तैय़ार नही करता हैं |                                       बेटे की शादी के बाद माता पिताजी समझते हैं अब हमारी ज़िम्मेदारी लगभग पूरी हो गयी इस बात से कोई फर्क नही पड़ता बेटे की उम्र क्या  हैं या फिर वो नौकरी करता भी हैं या नही | जो पिता हमेशा ही 100 रूपये की ज़रूरत होने पर 200 देते थे वो अब अपना हाथ पीछे खींचने लगते हैं |  जो माँ टकटकी लगाकर बेटे के घर आने का इंतजार करती थी और बेटे ज़रा भी लेट होने पर बैचेन हो ज़ाया करती थी अब निश्चिन्त रहने लगती हैं | भैया के घर आते ही जो बहन पानी का गिलास लेकर तुरंत हाजिर होती थी वो भी बेफिक्र हो जाती हैं |  भाभी अब खाना समय से परोसना ज़रूरी नही समझती | बस सबको लगता हैं अब
कभी कभी आँसू जाते हैं हार कभी हार जाता हैं प्यार | हार जाती हैं यादे हार जाती हैं फरियादे | हार के इस सिलसिले में एक दिन ज़िंदगी भी जाती है हार || और क्या लिखूँ  मेरे यार ||| ~~~~~~अनितापाल ~~~
बेटी  बेटा  एक समान , यह हैं दिखावा झूठी शान || आज सुबह सुबह फोन की घंटी बजी |एक सहेली की खनखनाती सी आवाज कान में पडी कहां रहती हो आजकल?? कोई खबर ही नहीं |अरे पूनम तुम !!हाँ यार बहुत दिन से सोच रही थी तुमसे  बात करने की ...,..कहानी बाद में सुनाना पहले ये बता मम्मी पापा कैसे हैं ??? ठीक हैं सब, अभी अभी दीदी  के यहां गये हैं दोनों उनको खाना  पैक करके दिया हैं ....खाना पैक क्यूँ दीदी की ससुराल तो पास में ही हैं ....हाँ हैं तो पास में ही लेकिन हमारे यहां  बेटी के घर का नहीं खाते .......कुछ इस तरह की मान्यतायें कम या ज्यादा रूप में हर समाज में विद्धमान हैं  ......पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक कहावत कुछ  ऐसे हैं ...... बहन घर भाई कुत्ता ,सास घर ज़माई कुत्ता | सौ कुत्तों का वह सरदार ,जो ससुर रहे ज़माई द्वार || इस कहावत से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसको कितनी इज्ज़त मिलती हैं .......मेरे एक परम प्रिय अफसर भैया की तरह आप में से भी अगर किसी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घरजमाई बनने का इरादा कर रखा हैं तो मेरी आपको सलाह की आप इसे त्याग ही दे तो अच्छा हैं .......
छोटे से गाँव की छोटी सी गलियों में खेलते कूदते बुने थे कुछ सपने | छोटे से दिल में थे बहुत अरमान कोमल थे पंख  और छूना था आसमान || चंद हसरतों के साथ चल पडा था कारवां मालूम नहीं थी मंजिल राहे कब थी आसां || मजबूत थे इरादे जीतने की थी चाह चलते गये हम और मिलती गयी राह || बहुत बार आयी मुशकिलों की आंधी ज़िंदगी ने दिये बहुत सारे गम हंसके सहे हमने वक्त के हर सितम || उसूलों पर आँच हमने आने ना दी चेहरे से मुस्कान जाने ना दी || हरदम चले है हम सीना तान हमारी पहचान है हमारा स्वाभिमान| ~~~~~~अनिता पाल ~~~~``