संदेश

मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नन्ही सी जान

 ऐ नन्ही सी जान तू बन गई है मेरी पहचान रातों को सोचूं दिन को विचारूँ किस नाम से मैं तुझको पुकारूं ऐ नन्ही सी जान , तू बन गई है मेरी पहचान|| तू ही मेरे अरमां, तू ही मेरा खिलौना तू बन गया है मेरा सपना सलोना ऐ नन्ही सी जान तू बन गई है मेरी पहचान|| तू है मेरी चाहत, तू जन्नत है मेरी तुझसे ही तो ये जिंदगी उन्नत मेरी  ऐ नन्ही सी जान तू बन गई है मेरी पहचान|| #अनिता पाल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष .. यह भी कैसी विडम्बना है , लड़की के साथ पैदा होने से पहले ही भेदभाव शुरू हो जाता है | पहले तो उसको गर्भ में ही मारने की कोशिश की जाती है , यदि वह जन्म ले भी लेती है ,तो फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है | बेटो को तो सब सुविधाये दी जाती है , और बेटियों को उनसे वंचित रखा जाता है | उसको तो हमेशा पराया धन समझा जाता है  इसीलिये उससे इतना भेदभाव होता है | इसके बावजूद भी वह सब कुछ सहती है  मन से माँ बाप की सेवा करती है | क्यों भूल जाते है लोग कि वह दो घरों को रोशन करती है  अपने लिये नहीं वह हमेशा अपनों के लिये जीती है | ज़िन्दगीं भर ज़हर के घूट पीती है || यही पर उसकी पीडा समाप्त नहीं होती  शादी के बाद क्या वो मुसीबते नहीं सहती ? फिर वह दहेज के लिये प्रताडित की जाती है  यदि वह इन सब से बच जाती है  तो बुढ़ापे में सारी कसर निकल जाती है | बुढ़ापे में में वह बेसहारा हो जाती है  बेटे - बहु पर वह बोझ बन जाती है | ज़िनको उसने पाला उनके लिये वह परायी हो जाती है  क्या यही नारी है जो जीवन भर सतायी  जाती है ?? #अनिता पाल #

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

 FB-72 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष ....  आधुनिक नारी , सब पर भारी | उत्साह की है ये अदभुत चिंगारी | कोमल है कमजोर नहीं , इतनी भी कच्ची डोर नहीं | घरेलू होने के साथ साथ है कामकाजी  रिशते नातो को निभाकर रखती है सबको राजी | जीतने की ज़िद है इरादे है बुलंद , चाहती है आसमां में उडना स्वछन्द | कभी होती थी अबला और बेचारी , लेकिन सशक्त है आधुनिक नारी | ~~~~~अनिता पाल ~~~~~~ #Anita Pal Sukhatri

जिंदगी

 ७४२ रात की ये तन्हाई  याद तेरी संग लाई  आँखों में तुम्हारे ख्वाब है  दिल में तुम्हारे ख्याल है  तुम्हारे ख्यालों से मेरी रातें हुई रंगीन है  तुम्हारी यादों से दिन हुए हसीन है  दिल की धड़कन है तुम्हारा बसेरा  हर सांस पर है तुम्हारा पहरा  तुम्हारी यादों में सिमट गया है मेरा जहान  तुम्हारी मुस्कान बन गयी है मेरी पहचान  होती क्या है चाहत??? तुमसे मिलकर हमने है जाना  कुछ है दूरी ,कुछ है मजबूरी  सच कहूँ तो तुम बिन  मेरी ज़िंदगी है अधूरी || #लवयूज़िंदगी  #अनिता पाल

जिंदगी

 २८९ ख्वाबों ,ख्यालों और सवालों का है  काफिला संग में , लोग कहते है ..... तन्हा हूँ मैं ज़िंदगी के सफर में | आगे आगे चलते है ख्वाब , संग मेरे चलते है ख्याल  पीछे पीछे बहुत सारे सवाल || संभालती हूँ मैं इन्हे  या ये मुझे रहे है संभाल | अनुत्तरित है आज तक ये भी सवाल || ~~अनिता पाल