अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष .. यह भी कैसी विडम्बना है , लड़की के साथ पैदा होने से पहले ही भेदभाव शुरू हो जाता है | पहले तो उसको गर्भ में ही मारने की कोशिश की जाती है , यदि वह जन्म ले भी लेती है ,तो फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है | बेटो को तो सब सुविधाये दी जाती है , और बेटियों को उनसे वंचित रखा जाता है | उसको तो हमेशा पराया धन समझा जाता है इसीलिये उससे इतना भेदभाव होता है | इसके बावजूद भी वह सब कुछ सहती है मन से माँ बाप की सेवा करती है | क्यों भूल जाते है लोग कि वह दो घरों को रोशन करती है अपने लिये नहीं वह हमेशा अपनों के लिये जीती है | ज़िन्दगीं भर ज़हर के घूट पीती है || यही पर उसकी पीडा समाप्त नहीं होती शादी के बाद क्या वो मुसीबते नहीं सहती ? फिर वह दहेज के लिये प्रताडित की जाती है यदि वह इन सब से बच जाती है तो बुढ़ापे में सारी कसर निकल जाती है | बुढ़ापे में में वह बेसहारा हो जाती है बेटे - बहु पर वह बोझ बन जाती है | ज़िनको उसने पाला उनके लिये वह परायी हो जाती है क्या यही नारी है जो जीवन भर सतायी जाती है ?? #अनिता पाल #