संदेश

जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
सावन में मेघा बरसे या ना बरसे पर हमारे नैना ज़रूर बरसते  है |ज़िंदगी में कुछ दर्द ऐसे होते है ज़िसकी दवा वक्त के पास भी नहीं होती |ज़िंदगी के कुछ घाव ऐसे होते है ज़िन पर अपनो के प्यार का मरहम भी असर नहीं करता |ये दर्द ,ये घाव  नासूर बन जाते है |इनका बस एक ही ईलाज है सहना और सहना |हां कभी कभी रोकर इस दर्द को कम किया जाता है ||                                  पर आज के अतिवादिता के दौर में रोना भी प्रतिबंधित सा हो गया है || जहां देखो खुश रहने और मुस्कारने के विज्ञापन े होते है और इसी का प्रचार प्रसार किया जाता है |मानो दुख और रोना जीवन का हिस्सा ही ना हो| मनुष्य की कुछ स्वाभाविक  क्रियायें होती है रोना भी उनमे से ही एक है |जैसे खुशी की कोई बात होने पर हंसी आना स्वाभाविक है वैसे ही ज़िंदगी में दुख आने पर रोना भी स्वाभाविक है |                               जिस रोने को लोग ज़िंदगी का नकारात्मक और कमजोर पक्ष मानते है उसे मैं ज़िंदगी का अहम और ज़रूरी हिस्सा मानती हूँ | रोने के भी अपने फायदे है | [आँसू को लेकर मैने कई कविताये भी लिखी है |]            रोने का सबसे बडा फायदा तो ये है आपके अन्दर बुरे
४७६ -------------१-------------- गर्भ में पल रही बच्चियों सुनो लगाकर कान | मेरी बातों पर भी धरो थोड़ा सा ध्यान , फिक्र रहती है तुम्हारी इसीलिये बांट रही हूँ ज्ञान| जन्म के बाद तुम्हारा जीना नहीं हैं आसान | -------------२------------- पृथ्वी पर जन्मी बालिकाओं मेरी बात पर गौर करो नन्ही सी तुम कली हो जानती हूँ तुम अभी अधखिली हो उम्र तुम्हारी महीनों में हो य़ा साल में सुरक्षित नहीं हो तुम इस संसार में हवस के भूखे भेडियों की नजरों से तुम बचा करो टॉफी ,चॉकलेट य़ा किसी और लालच में ना आया करो आसिफा ,मुन्नी ,गुडिया ,निर्भया  इनकी खता भी थी क्या | बस इतनी कि नारी शरीर था धरा प्यारी बच्चियों घर के बाहर खेलने में डरा करो घर में अपनी सलामती की दुआ किया करो || ------------------३--------------------------- स्कूल कालेज जाने वाली लड़कियों ज़रा  सावधान होकर घर से निकला करो अजनबियों से लिफ्ट लिया ना करो आँख कान हमेशा खुले रखा करो हर किसी की गतिविधियों को ध्यान से देखा करो ज़रूरत से ज्यादा विश्वास पहुंचा सकता है नुक़सान समझदारी ही है तुम्हारा सुरक्षा कवच आत्मविश्वास का हथि