FB-198 लिखना भी एक नशा है | दिमाग में कोई विचार आ ज़ाये कोई बात परेशान करे जब तक उसको लिख ना लो तब तक एक अजीब सी कुलबुलाहट सी रहती है | एक बैचेनी सी बनी रहती है काम कोई भी करो दिमाग में वही बात ,वही विचार रहता है |ज़िनको लिखने की आदत है अगर वे लिखने को ज्यादा इगनोर करे तो पागल होने का खतरा रहता है | मार्क्स ने कहा था धर्म अफीम है लेकिन कुछ लोगो के लिये लिखना भी अफीम से कम नहीं || #Anita Pal Sukhatri
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जुलाई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
मेरा बचपन
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सावन में तीज का अपना एक अलग ही महत्व है |कल तीज का त्योहार था |सोसाइटी में खूब चहल पहल थी माहौल मेले के जैसा था ...स्टाल लगे थे ....आईसक्रीम ,चोकलेट पर बच्चे टूट रहे थे | एक तरफ बच्चो के लिये प्रतियोगिता थी तो दुसरी तरफ महिला प्रतियोगिता में खूब उत्साह दिख रहा था |सौन्दर्य प्रतियोगिता में किसके बाल सबसे लम्बे है ,किसके हाथ में सबसे ज्यादा अंगुठिया है या किसके ईयररिंगश सबसे लम्बे है ....माईक थामे महिला की जोरदार आवाज हवा में गुंज रही थी | विभिन्न रंगो और डिजाइन वाले परिधानो में सजी धजी महिला एक से बढकर एक थी ,हरे रंग की प्रधानता दिखाई दे रही थी लेकिन मेरी आँखे किसी और को तलाश रही है थी | मखमली लाल सुर्ख लिबास में लिपटी नाजुक ,सुन्दर और कोमलता से भरी जब वो हरे घास में धीरे धीरे चलती तो बहुत ही खूबसूरत दिखती थी |ज़रा सा उसको छू लो तो सिकुड सी जाती |बहुत ही कोमल होती हरी घास और उसके लाल लिबास की matching का कोई जवाब नहीं होता था | माँ से उसके बारे में पूछा कि कौन है ये .....माँ ने बताया ये इसका नाम तिज्जो है | सावन में तीज के त्योहार के मौसम में बारिश के बाद अक्सर इनका झुंड और क