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७५१ क्या बताये साहब ??? बुन रही हूँ आजकल  ख्वाब सपनों की चुनर में लगाये उम्मीदों के सितारे है || एक भोली सी सुरत पर दिल हम हारे है || #AP
ज़मीन से जुडी हूँ ,इंसानो की कद्र जानती हूँ अच्छे -बुरे को भलीभांति पहचानती हूँ | यूँ तो भोली सी सुरत है मेरी पर गलत को सबक सीखाना भी जानती हूँ | ज़िन्दगी में सहे है बहुत रंजोगम पर मुशकिलों को पार करना भी जानती हूँ | आँखो में झिलमिलाते ख्वाबों को हकीकत में बदलना जानती हूँ || अच्छी हूँ बस अच्छों के लिए बुरों को उनकी औकात दिखाना जानती हूँ | यूँ तो रहती है नजरों  में हया , पर वक्त आने पर आंखे दिखाना जानती हूँ || मुस्कराती हूँ हर गम को छुपाकर इस ज़िन्दगी की कीमत पहचानती हूँ || #AP
तुम बन ज़ाओ मीत मेरे मैं तुम्हारी प्रीत बन ज़ाऊँ | तुम बन जाओं नींद मेरी मैं तुम्हारे ख्वाब बन जाऊँ | तुम बन जाओं सांस मेरी मैं तुम्हारी खुशबू बन जाऊँ || मेरे दिल की धड़कन तुम्हारे जीवन का संगीत बन जायें || रिश्ता रूह से रूह तक का जनम जनम तक बन जाये | #AP
FB-113 हे प्रभु , मुझे ऐसा वर दो ..... आकाश की रिक्तता पृथ्वी की पूर्णता सागर सी गहराई पर्वत सी ऊँचाई नदी सी चंचलता पुष्प सी कोमलता चित्त में स्थिरता ह्रदय में सरलता भर दो ...... प्रभु मुझे ऐसा वर दो ....... ~~~~~अनिता पाल ~~~ #Anita Pal Sukhatri