७५१ क्या बताये साहब ??? बुन रही हूँ आजकल ख्वाब सपनों की चुनर में लगाये उम्मीदों के सितारे है || एक भोली सी सुरत पर दिल हम हारे है || #AP
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अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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ज़मीन से जुडी हूँ ,इंसानो की कद्र जानती हूँ अच्छे -बुरे को भलीभांति पहचानती हूँ | यूँ तो भोली सी सुरत है मेरी पर गलत को सबक सीखाना भी जानती हूँ | ज़िन्दगी में सहे है बहुत रंजोगम पर मुशकिलों को पार करना भी जानती हूँ | आँखो में झिलमिलाते ख्वाबों को हकीकत में बदलना जानती हूँ || अच्छी हूँ बस अच्छों के लिए बुरों को उनकी औकात दिखाना जानती हूँ | यूँ तो रहती है नजरों में हया , पर वक्त आने पर आंखे दिखाना जानती हूँ || मुस्कराती हूँ हर गम को छुपाकर इस ज़िन्दगी की कीमत पहचानती हूँ || #AP