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अहिल्याबाई होलकर जयंती

 दया धर्म की मूरत थी वह ,दुखियों की भगवान थी पिता माणकोजी शिन्दें ,माता सुशीला की गोद में खेली थी ! पाँच भाईयों की वह बहन  अलबेली थी !! श्वसुर मल्हार राव होलकर की वह सेविका थी , खण्डेराव होलकर की वह पतिव्रता नारी थी !! मालेराव और मुक्ताबाई की वह ममतामयी  माता थी , थे हजारों रूप उसके ,वह जन जन को भायी थी पतित पावन  वह पूजनीय अहिल्याबाई  थी !! हुई अवतरित जब धरा पर ,सारा कुटुम्ब मुस्काया था उसके अलौकिक तेज से भानू भी शर्माया था !! थी नहीं साधारण नारी ,वह देवी का अवतार  थी , दरिद्र जनों के दुख दूर करती ,दुर्गा के समान थी शिवलिंग की पूजा करती सती के समान थी !! विद्वानों को तो वह साक्षात सरस्वती लगती  थी मंत्रियों में वह स्वयं मंत्र बन जाती थी , शत्रुओं के समक्ष वह काली का रूप धर लेती थी !! देखकर दुखी जनों को ,वह माँ संतोषी बन जाती थी , सीता समान चरित्रवान और पतिव्रता नारी थी और क्या क्या कहुं उसे ,वह अदभुत चिंगारी थी!! सप्तपुरी ,चार धाम और बारह ज्योर्तिलिंगो  को चमकाया था , भारत भर में उसने मन्दिर ,धर्मशाला और घाटों का निर्माण करवाया था , राम राज्य बनाया अपना राज्य,जब सब जगह अत्याचार छाया थ

ख्वाब कोई

"ख्वाब कोई " ख्वाब कोई बुन रही हूँ , धुन कोई सुन रही हूँ | ऊर्जा से ओतप्रोत  असीमित उमंगो का स्रोत | ज़िन्दगी की खुशियाँ चुन रही हूँ  ख्वाब कोई बुन रही हूँ ....... कभी अपनो की फिकर  कभी खुद से ही बेखबर  मंजिलो की राह पर चल रही हूँ  ख्वाब कोई बुन रही हूँ ........ धुन कोई  सुन रही हूँ  कभी राधा सी चंचल , कभी मीरा सी मगन  कैसी लागी मुझे ये लगन ह्रदय के बजते तार  कभी बजे मन की गिटार  संगीत ज़िंदगी का सुन रही हूँ | ख्वाब कोई बुन रही हूँ ...... धुन कोई सुन रही हूँ  कभी आँसूओ की बौछार  कभी खुशियो की भरमार  कभी दर्द की पुकार  कभी हंसी की बहार  रंग ज़िंदगी के चुन रही हूँ | ख्वाब कोई बुन रही हूँ  धुन कोई सुन रही हूँ | #अनितापाल  #Anita Pal Sukhatri

पत्र

 (१) दुनियां की सुसंस्कारी लड़कियों !!  संस्कार की चादर में इस कदर मत लिपट जाना कि वो तुम्हारा कफन बन ज़ाये |बिता ना देना ज़िंदगी लक्ष्मणरेखा की कैद में |मुझे फिकर है संस्कारों की भूल भूलैया में मासूम सी जिन्दगी उलझ ना जाये | हो ना जाना इतनी बेपरवाह की ख्वाहिशे दफन हो जाये | कहीं ऐसा ना हो संस्कारों की फिकर करते करते तुम्हारे अरमानों की चिता सज जाये | ना आने देना वो दिन जब तुम्हारे अरमान आंसू बन गालों पर लुढक ज़ाये | पथरा ना जाये तुम्हारे नयन इस कदर कि कोई ख्वाब इनमें पल ना सके |                                 (२)                              लड़कपन की उडान भरती बच्चियों !! बहककर उलझ ना किसी ऐसे जाल में जो तुम्हारे जीवन का जंजाल बन ज़ाये |फूंक फूंक कर रखना हर कदम स्वार्थ की इस दुनियां में |पड ना जाना किसी ऐसे अमीर के प्यार में जो बेच दे अपना ज़मीर और फिर एक दिन सौदा कर दे तुम्हारे सपनों का |झूठे अाश्वासनों के हवाले कर ना देना खुद को |भ्रमित ना हो जाना दुनियां की चकाचौंद में |                              ( ३) दुनियां की विवाहित महिलाओं !!! ज़िम्मेदारियों के बोझ में इतना मत झुकना की तुम्ह

बेटियां

 "बेटियाँ" खरपतवार सी होती हैं बेटियाँ , जहां तहां  यहां वहाँ उग आती हैं  खाद पानी बेटों में और लहराती हैं बेटियाँ| ज्यों ही ज़माती हैं ज़ड़े  उखाड दूसरी जगह रोप दी जाती हैं बेटियाँ नयी मिट्टी में अनुकुलन कर , एक बार फिर ज़ड़े मजबूत कर लेती हैं बेटियाँ || सबके मन को शीतलता  और प्यार की छाया देती हैं बेटियाँ | उम्र बढने के साथ ही देखभाल के अभाव में  सूख जाती हैं बेटियाँ और अंततःकाल के झोके से  भरभराकर गिर जाती हैं बेटियाँ #अनिता पाल