अहिल्याबाई होलकर जयंती
दया धर्म की मूरत थी वह ,दुखियों की भगवान थी पिता माणकोजी शिन्दें ,माता सुशीला की गोद में खेली थी ! पाँच भाईयों की वह बहन अलबेली थी !! श्वसुर मल्हार राव होलकर की वह सेविका थी , खण्डेराव होलकर की वह पतिव्रता नारी थी !! मालेराव और मुक्ताबाई की वह ममतामयी माता थी , थे हजारों रूप उसके ,वह जन जन को भायी थी पतित पावन वह पूजनीय अहिल्याबाई थी !! हुई अवतरित जब धरा पर ,सारा कुटुम्ब मुस्काया था उसके अलौकिक तेज से भानू भी शर्माया था !! थी नहीं साधारण नारी ,वह देवी का अवतार थी , दरिद्र जनों के दुख दूर करती ,दुर्गा के समान थी शिवलिंग की पूजा करती सती के समान थी !! विद्वानों को तो वह साक्षात सरस्वती लगती थी मंत्रियों में वह स्वयं मंत्र बन जाती थी , शत्रुओं के समक्ष वह काली का रूप धर लेती थी !! देखकर दुखी जनों को ,वह माँ संतोषी बन जाती थी , सीता समान चरित्रवान और पतिव्रता नारी थी और क्या क्या कहुं उसे ,वह अदभुत चिंगारी थी!! सप्तपुरी ,चार धाम और बारह ज्योर्तिलिंगो को चमकाया था , भारत भर में उसने मन्दिर ,धर्मशाला और घाटों का निर्माण करवाया था , राम राज्य बनाया अपना राज्य,जब सब जगह अत्याचार छाया थ