७४४ प्रेम पत्र -७ "सिर्फ तुम " प्रियवर कई साल से "तुम " मेरा रिसर्च का विषय रहे हो |कई बार मैने तुम्हे जंगली ,अनपढ़ ,आलसी ,मेरी जान ,मेरी ज़िंदगी जैसे शब्दों से नवाजा है | ना जाने कितनी बार तुमने मेरी कल्पनाओं में आकार लिया है | हजार बार "तुम " बिन दस्तक दिये मेरे ख्यालों में प्रवेश कर गये |कितने सावन बिन फुहार के गुजर गये ?? कितने फागुन बिन बहार के बेरंग लौट गये तुम्हारे इंतजार में | सालों से मैने तुम्हें कभी दिल की धड़कन ,कभी मन की कल्पना में कभी ,कभी ख्वाबों में तो कभी पलकों के बीच छूपा कर रखा | आज जब "तुम " ख्वाब से हकीकत बन गये तो मेरे आसपास के लोगो की रिसर्च का विषय बन गये हो "तुम "||| पिछले छ: साल में सात प्रेम पत्र ही लिख पायी उसके लिये क्षमा चाहती हूँ | ज़माने के डर को ताक पर रख मैं यूँ प्रेम पत्र लिखती रहूँगी ये मेरा वादा है | *****सिर्फ तुम ***** "तुम्हारी प्रियतमा "
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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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७४३ "बेबसी" हर रोज की तरह ऑफिस जाने के लिये ऑटो का इंतजार कर रही थी थोडी देर बाद एक ऑटो रुका | एक लड़का और एक लड़की पहले से ही ऑटो में बैठे हुए थे दोनों की हीऊम्र 18-20 वर्ष होगी | ऑटो में बैठते ही मैने देखा लडकी रो रही है और लड़का उसको कुछ समझा रहा हैं | ऑटो में तेज आवाज में चल रहे म्यूजिक के कारण मुझे बस एक इतना ही सुनायी दिया .... कभी मेरे बारे में भी सोचा है तुमने ??..लडकी ने रोते हुए कहा ... मैने तो कभी सोचा ही नहीं तुम्हारे बारे में ...लड़के ने माथे सलवटे ड़ालते हुए कहा ... लडकी थोडी देर तेज तेज रोकर चुप हो गयी और फिर अपना सिर पकड कर बाहर की ओर देखने लगी लड़का बार बार बेचैन हो उसका चेहरा देखने की असफल कोशिश करता और फिर मेरी ओर देखकर ये आश्वस्त होने की कोशिश करता कि मैं उनके मामले से अनभिज्ञहूँ ....अफसोस वो दोनों तरफ ही असफल प्रयास कर रहा था | क्यूँकि सबकुछ भले ही ना पता हो पर कुछ तो आभास हो ही गया था मुझे | मेरे साथ बैठे सहयात्री एक दूसरे को जानते हुए भी भले ही चुप हो परन्तु मेरे खुद से ही हो रहे सवाल जवाब जारी थे ...
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७४२ रात की ये तन्हाई याद तेरी संग लाई आँखों में तुम्हारे ख्वाब है दिल में तुम्हारे ख्याल है तुम्हारे ख्यालों से मेरी रातें हुई रंगीन है तुम्हारी यादों से दिन हुए हसीन है दिल की धड़कन है तुम्हारा बसेरा हर सांस पर है तुम्हारा पहरा तुम्हारी यादों में सिमट गया है मेरा जहान तुम्हारी मुस्कान बन गयी है मेरी पहचान होती क्या है चाहत??? तुमसे मिलकर हमने है जाना कुछ है दूरी ,कुछ है मजबूरी सच कहूँ तो तुम बिन मेरी ज़िंदगी है अधूरी || #लवयूज़िंदगी #AP
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७४० (१) बुद्ध की ये धरा है युद्ध से हम बचते है देखे कोई तिरछी नजर से खून हमारा खौलता भारत माँ की रक्षा को बच्चा बच्चा जय हिन्द बोलता || (२) माँ का चिराग पत्नी का सुहाग बहनों की राखी जवानों की खाकी सबमें देश प्रेम भरा है प्राणों से भी प्यारी हमें भारत की धरा है || (३) तिरंगा है हमारी आन बान शान माँ भारती के लिये सब कुछ हैं कुर्बान गर्व से कहिये "मेरा भारत महान"|| #जयहिन्द #AP