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उल्लू बनाओ

उल्लू बनाओ" जब भी मेरे पास खाली समय होता है उसको या तोमैं अपनी डायरी के साथ बिताना पसंद करती हूँ या बच्चो के साथ | बच्चा भले ही एक दिन का क्यूँ ना हो| मुझे  "बच्चे मन के सच्चे " बहुत भाते है | और मैं बच्चो से दोस्ती करने में बहुत  माहिर हूँ | एक ही पल में  बच्चा बन उनसे घुल मिल जाती हूँ | बच्चो की अपनी दुनियां, अपने शब्द  ,अपने अर्थ और अपना शब्दकोश | आज एक बच्चा दीदी आप बोर नहीं होते अपनी लाइफ से ?? मैं --- बोर क्यूँ ??? आप दिन भर बिजी रहते हो?? खेलते भी नहीं अपने friends के साथ ????? मेरे सब friends दूर दूर रहते है ना .... अच्छा तो आप उनको उल्लू तो खूब बनाते होंगी ??? उल्लू कैसे बनाते है frnds को?? मैने मासूम सी शक्ल बनाते हुए और माथे में बल ड़ालते हुए कहा | अच्छा आपके frnds गर्ल या बॉयस बच्चे ने पूछा ??? दोनो है ..... हां तो उल्लू कैसे बनाते है ??? मैने फिर से पूछा ... आपको उल्लू लड़के को बनाना है या लड़की को?? दोनो को बनाना बता दीजिये |(😂😂) अच्छा सुनिये ..... बच्चे के इतना कहते ही मैने अपनी हंसी को रोकते हुए ......हां हां बताईये ..... आप ना अपने  जिस भी दोस्त को उल्लू

प्रेम पत्र

"कि मेरा प्रेम पत्र पढकर ..." प्रियवर ,              नाशते में आलू के परांठे दही के साथ खाने के बाद जो नींद आयी ना उसको मैं लिख नहीं सकती अभी अभी जागी हूँ | दिल और दिमाग एकदम शुन्य और शांत हैं इसी शांति का लाभ उठाकर तुम्हे पत्र लिखने बैठी हूँ |दुआ करो को विघ्न ना आये और पत्र पूरा हो ज़ाये|                                  सच बताऊँ डियर ....बचपन से ही मेरी बहुत इच्छा थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर किसी अनपढ़े से शादी करने की हमेशा सोचती रहती थी कि कोई हाई स्कूल फेल तो मिल ही जायेगा कसम से तुम पांचवी पास को पाकर मैं फूली नहीं समा रही हूँ . .. वैसे तो 10 वीं पास भी अनपढ मैं ही आते हैं पर तुम तो सोने पर सुहागा हो मेरे लिये |                                प्रियवर बहुत विचित्र सी स्थिती हैं हमारे प्रेम के  बीच |उधर तुमाहरे अग्रज शादी कर नहीं रहे हैं और इधर मेरे अनुज मुझे सुबह शाम  एक ही मंत्र सुनाते हैं .....हमारा रास्ता साफ करो ,हम कब तक तुम्हारे चक्कर में कुँवारे  रहे | डियर अपनी माताजी को समझाये कि जैसे गणित में एक सवाल को करने के कई तरीके होते हैं वैसे ही हर काम को करने के बहुत तरीके

हलचल

 ५६३ "हलचल " गर्भ में बेटी माँ से बात किया करती थी  माँ भी बेटी के दिल की हर धडकन को सुना करती थी | बेटी जब पूछती "माँ धरती तो बहुत सुंदर होगी ??" माँ जवाब देती हाँ बेटी धरती तो बहुत सुंदर है  परंतु धरती के लोग .........?(कहकर माँ थोड़ा रूक सी जाती ) हाँ बेटी यहां नदियां है ,पहाड है ,खेत खलिहान है  यहाँ तो बिल्कुल ही एक नया जहान है || कुल मिलाकर धरती पर बहुत हलचल है | पैदा हुई जब बेटी तो चारो तरफ सन्नाटा था  देखकर शांति चारो ओर बेटी के मन में प्रश्न उठा था | माँ आप तो कहती थी धरती पर बहुत हलचल है  माँ ने कहा हाँ  बेटी , अभी तो ये तुम्हारा पहला ही पल है | धीरे धीरे बेटी बडी होती गयी  सखियो संग गुड्डे गुडियां के खेल में खो गयी | एक दिन धूल से सने हुए माँ की गोद में आयी  बोली माँ ये धरा तो उससे भी सुंदर है , ज़ितनी आपने थी बतायी || दबी जुबां  से माँ ने बेटी की हाँ में हाँ मिलायी  जैसे जैसे बेटी बडी होती गयी ,माँ ने  इस दुनियां की हकीकत उसे समझायी | इस धरा पर नारी का नहीं है सम्मान  अपमान के घूंट वह पीती है दिन रात | क्योंकि यह है पुरूष प्रधान समाज  नारी की आवाज को यहाँ
 एेमेरे मन  कितने करूँ जतन  ढूँढ़ती हूँ तुझे यहाँ  मिलता है तू वहाँ  क भी बादल सा आवारा  कभी दुखों का मारा  कभी खुशियों का ज़रिया  कभी आँसू का दरिया || एे मेरे मन  कितने करूँ जतन  कभी भरता है उडान  कभी बन जाता नादान  एे मन क्यूँ डोलता है इधर उधर  कभी हो जाता है खुद से ही बेखबर  कभी तो संग मेरे बैठकर  ऐ मन तू मुझसे बात कर   तू ही मेरी मंजिल  तू ही मेरा हमसफर | एे मेरे मन ....