जब जब भी तपता हैं बुखार से शरीर , आँखों में उभर आती हैं माँ की तस्वीर l दवाई लेकर आगे पीछे डोलती माँ , गाँव भर में डॉक्टर को खोजती माँ l कभी इधर कभी उधर खाँसती सी माँ , वैद्ध बन नुस्खे आजमाती सी माँ l नर्स सी सेवा में तत्पर रहती माँ , कभी अन्दर कभी बाहर चूडी खनकाती माँ l छूट गयी माँ साथ ही छूट गया गाँव , गाँव में जाने को अब पड़ते नहीं पाँव l नगरों की भीड में रह गये हैं अकेले , पीछे छूट गये अब गाँव के मेले l व्यस्त सी ज़िन्दगी अजीब सी भाग दौड , समझ नहीं आता किस बात की हैं होड ll ---------+Anita Pal---+)
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FB-147 "जवान और किसान " खेत में किसान और सीमा पर जवान दोनो ही दे रहे हैं जान| दोनों के खून से धरती हुई है लहूलुहान कैसे कह दूँ मेरा भारत महान | कैसे लिखूँ इन दोनो का दर्द हाथ मेरे कांप रहे हैं लेखनी हुई है सर्द | एक सीमा पर बन पहरेदार अपना फर्ज निभाता है दुजा दिन भर रह भूखा प्यासा खेतों में अन्न उपजाता है || आज दोनों पर आया संकट भारी है इनका दर्द बांटना हम सब की ज़िम्मेदारी है | भर पेट खाकर अगर तुमको चैन से सोना है करो संकल्प अब ना एक भी किसान और जवान खोना है | (हर रोज मर रहे हमारे किसान और जवान पूरे देश के लिये अपूरणीय क्षति है | इन दोनो की दुर्दशा से बहुत व्यथित हूँ 😢) #जयजवानजयकिसान #Anita Pal Sukhatri
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FB-141 "कि मेरा प्रेम पत्र पढकर ..." प्रियवर , नाशते में आलू के परांठे दही के साथ खाने के बाद जो नींद आयी ना उसको मैं लिख नहीं सकती अभी अभी जागी हूँ | दिल और दिमाग एकदम शुन्य और शांत हैं इसी शांति का लाभ उठाकर तुम्हे पत्र लिखने बैठी हूँ |दुआ करो को विघ्न ना आये और पत्र पूरा हो ज़ाये| सच बताऊँ डियर ....बचपन से ही मेरी बहुत इच्छा थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर किसी अनपढ़े से शादी करने की हमेशा सोचती रहती थी कि कोई हाई स्कूल फेल तो मिल ही जायेगा कसम से तुम पांचवी पास को पाकर मैं फूली नहीं समा रही हूँ . .. वैसे तो 10 वीं पास भी अनपढ मैं ही आते हैं पर तुम तो सोने पर सुहागा हो मेरे लिये | प्रियवर बहुत विचित्र सी स्थिती हैं हमारे प्रेम के बीच |उधर तुमाहरे अग्रज शादी कर नहीं रहे हैं और इधर मेरे अनुज मुझे सुबह शाम एक ही मंत्र सुनाते हैं .....हमारा रास्ता साफ करो ,हम कब तक तुम्हारे चक्कर में कुँवारे रहे | डियर अपनी माताजी को समझाये कि जैसे गणित में एक सवाल को करने के कई तरीके होते हैं वैसे ही हर काम को करने क
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FB-224 अभी अभी मुझसे किसी ने पूछा ......तुम्हे किसी की शादी में क्या सबसे ज्यादा अच्छा लगता हैं ????? मैं --------देखिये मुझे दुल्हे दुल्हन ,खाने पीने ,लोगो के कपडे ,सैंडिल की हील , कोट टाई आदि में कोई खास रूचि नहीं हैं | पर शादी में एक सीन " जब महिला, पुरूष ,बच्चे ,बूढ़े पूरे जोश में ड़ांस करते हुए कहते हैं ......" आज मेरे यार की शादी हैं " मुझे बहुत मजेदार लगता हैं ...इसको देखने में मैं बिलकुल भी चूकना नहीं चाहती....पर मुझे ये समझ नहीं आता इस गाने पर बच्चे से लेकर बूजूर्गो और यहां तक की महिलाओं तक को जोश में झूमते हुए देख कर भी दुल्हा घोड़ी पर कैसे बैठा रहता हैं ????😂😂😂😄😃 #बेवजह_खटरपटर
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आज आपसे बताना चाहती हूँ कि सोने ( sleeping ) के आधार पर कितने प्रकार के लोग पाये जाते हैं | टाईप 1 -------45डिग्री के कोण पर सोने वाले ... ..... ये लोग अपने घुटनों को मोड नाभि से लगाते हुए 45डिग्री का कोण बनाते हैं | ये बेड पर कब्जा इस तरह से रखते हैं कि दूसरा कोई सो ही ना पाये | टाईप 2 -----------90 डिग्री के कोण पर सोने वाले ------- ये एक दम सावधान की पोज़िशन में सोते हैं | शायद ही ये रात में करवट लेते हो! ये जैसे सोते हैं सुबह उसी तरह 90 डिग्री कि पोज़िशन में जगते हैं | सोने में ये आदर्श टाईप के लोग होते हैं | विवाह या किसी कार्यक्रम आदि में जब सोने में एडजस्ट करने की बात हो तो इनकी बहुत डिमांड रहती हैं | युवा से लेकर बुजूर्गो तक को इनसे कोई समस्या नहीं होती | इस टाईप के लोगो का एक लाभ ये भी हैं ये एक बेड पर 5-7 आराम से एडजस्ट हो सकते हैं 😄😂| सबसे खास बात इनकी 45 वालो से तो बिलकुल भी नहीं बनती , छत्तीस का आंकडा रहता हैं उनसे तो| 45 वालों के साथ सोने के बजाय ये ज़मीं पर सोना पसंद करते हैं | टाईप---3 ----------60 डिग्री पर सोने वाले ------- इस वर्ग के लोग 45 और 90 डिग्री क
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FB-222 "सौंदर्य बोध " आज रास्ते में दो युवक आपस में बाते करते हुए मुझसे आगे चल रहे थे .... उनमें से एक ----- अरे यार देख ना ??? बाल इधर से भी झड गये और इधर से भी |(अपने सिर को इधर उधर करते हुए)| लड़की वाले देखने आयेंगे तो क्या देखेंगे ????? उस नवयुवक की चिन्ता जायज थी | मैने अपनी माँ को अक्सर कहते हुए सुना ......."काम देखना चाहिये ,चाम (शरीर ) नहीं |" लेकिन माँ की ये बाते आज बेमानी सी लगती हैं | सौंदर्य बोध आज के समय में बहुत ज़रूरी हो गया हैं ,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप महिला हैं या पुरूष | अगर आप पुरूष हैं तो स्मार्ट लिस्ट में रहने के लिये बहुत ज़रूरी हैं कि आपकी लम्बाई और चौडाई संतुलित हो| पेट बाहर तो बिलकुल भी नहीं निकला हो| इससे भी ज़रूरी हैं कि आपके सिर के बाल सही सलामत हो | सिर के बालों का कम होना या सफेद होना आपको स्मार्ट लिस्ट से बाहर कर सकता हैं | अगर आप महिला हैं और ठीक ठाक नौकरी पेशा वाले लड़के से शादी करना चाहती हैं तो बहुत ज़रूरी हैं आप हूर की परी हो| आजकल सरकारी नौकरी वालो में" हूर की परी " की बहुत मांग हैं | "
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FB-121 "यार बुआ जी/ उल्लू बनाया " बुआ ने फोन लगाया ☎.....फोन 6 वर्षीय भतीजी ने उठाया 📲👯आगे बाते कुछ यूँ शुरू हुई .... बुआ जी नमस्ते .... नमस्ते ! मेरी बेटी कैसी हैं ?? अच्छा हूँ | आप कैसे है ......बुआ जी मैं भी अच्छी हूँ |सब कहां गये ?? पापा सो रहे है | मम्मी और बाबू दूध लेने गये है | आप क्या कर रही हो??? मैं तो अपना होमवर्क कर रहा हूँ सुंदर सुन्दर | सुन्दर सुन्दर क्यूँ ???? अच्छा उल्लू मत बनाईये बुआ जी ....आपने ही कहा था जो बच्चे अपना होमवर्क सुन्दर सुन्दर करते है उनको मैम बहुत प्यार करती है और आपने ये भी कहा था जो बच्चे मन लगाकर पढते है वे बहुत बडे बनते है | मैने कब कहा ऐसा ???? जब बहुत दिन पहले आप आये थे | आपने मुझे ह से हल बनाना भी सिखाया था और जब मैने दीवार पर पापा मम्मी और बाबू का कार्टून बनाया था तो आपने clapping भी की थी | भतीजी फलेशबैक में ले गयी | नहीं मैने तो नी किया ऐसा | मैने अनजान बनते हुए कहा | अच्छा आप मुझे उल्लू बना रही है ????? उल्लू तो आपने भी बनाया था मुझे ....मैने भी बच्चा बनते हुए कहा | कैसे ?!!??????? आपने मुझे कहा था कि हम सं
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FB-170 "माँ " हर रोज सोचती हूँ ..... कुछ माँ के लिये लिख दूँ | ईश्वरतुल्य माँ की कुछ तारीफ कर दूँ || लिखने से पहले ही कलम रूठ जाती है शब्दों से बनी श्रृंखला भी टूट जाती है | कैसे लिखूँ ?? क्या क्या लिखूँ ???? इसी उधेडबुन में रह जाती हूँ || माँ के लिये कुछ भी लिखना है सुरज को दिया दिखाना | बस इतना ही चाहती हूँ मैं जग को बताना |` #सबकीमाँकोसमर्पित #मिसयूमाँ #मेरीमाँ #Anita Pal Sukhatri
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FB-173 "थोड़ा सा मियां मिट्ठू बन लूँ क्या 😊😊" कांटो पर चल सकती हूँ मैं बिना पंखो के आसमां को छू सकती हूँ मैं | मुशकिलों के पर्वत झूका सकती हूँ मैं |`| गम के सागर से मोती खोज सकती हूँ मैं , हर उदास चेहरे पर मुस्कान ला सकती हूँ मैं | मुस्कराके देखलूँ ज़िसको उसे अपना बना सकती हूँ मैं बन जाऊँ दोस्त ज़िसकी उसे मंजिल से मिला सकती हूँ मैं बन जाऊँ हमसफर ज़िसकी ,उसकी हर राह को मंजिल बना सकती हूँ मैं ||| मेरे प्यार मेरे समर्पण को मेरी कमजोरी मत समझना यूँ तो इस जहां के बिना भी रह सकती हूँ मैं | जीत सको तो प्यार से जीत लेना मेरा दिल प्यार में सब कुछ हार सकती हूँ मैं | कभी कभी भावुक हो जाती हूँ अपनो के लिये चाहूँ तो पत्थर दिल भी बन सकती हूँ मैं || कायर नहीं हूँ ,कमजोर नहीं हूँ , इतनी भी कच्ची डोर नहीं हूँ || ठान लूँ तो समाज की हर बुराई से लड सकती हूँ मैं | मेरी इस कलम को तुम साधारण मत समझना इससे भूत और भविष्य भी लिख सकती हूँ मैं | ~~~~~~~अनिता पाल ~~~~~~ # Anita Pal Sukhatri
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FB-174 "धोखा धोखा 😃😂" हर रोज की तरह आज भी evening walk के लिये गयी | अभी पार्क में प्रवेश किया ही था कि बहुत छोटे छोटे बच्चो को झगड़ते हुए देखा | बच्चे चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे ........इसने हमे धोखा दिया .......इसने हमे धोखा दिया ... .छोटे छोटे बच्चों के मुंह से "धोखा " शब्द सुनते ही मुझे हंसी आ गयी |अपनी हंसी को रोकते हुए .....मैने कहा .... धोखा ?????? ये क्या होता है ???? अच्छा इसने इसको दिया ???? नहीं दीदी ... किट्टू ने हम तीनो को धोखा दिया ..... धोखा कैसे देते है ????? मैने अबोध सी होते हुए मन ही मन हंसते हुए पूछा किट्टू ने कल हमसे कहा था कि वह हम तीनों के साथ ही खेलेगा |और आज ये लड़कियों के group में खेल रहा था |😃😄😂😂 अच्छा तो ऐसा होता है धोखा ???? #बच्चेमनके सच्चे #मेराबचपन #Anita Pal Sukhatri
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FB-177 सावन में मेघा बरसे या ना बरसे पर हमारे नैना ज़रूर बरसते है |ज़िंदगी में कुछ दर्द ऐसे होते है ज़िसकी दवा वक्त के पास भी नहीं होती |ज़िंदगी के कुछ घाव ऐसे होते है ज़िन पर अपनो के प्यार का मरहम भी असर नहीं करता |ये दर्द ,ये घाव नासूर बन जाते है |इनका बस एक ही ईलाज है सहना और सहना |हां कभी कभी रोकर इस दर्द को कम किया जाता है || पर आज के अतिवादिता के दौर में रोना भी प्रतिबंधित सा हो गया है || जहां देखो खुश रहने और मुस्कारने के विज्ञापन े होते है और इसी का प्रचार प्रसार किया जाता है |मानो दुख और रोना जीवन का हिस्सा ही ना हो| मनुष्य की कुछ स्वाभाविक क्रियायें होती है रोना भी उनमे से ही एक है |जैसे खुशी की कोई बात होने पर हंसी आना स्वाभाविक है वैसे ही ज़िंदगी में दुख आने पर रोना भी स्वाभाविक है | जिस रोने को लोग ज़िंदगी का नकारात्मक और कमजोर पक्ष मानते है उसे मैं ज़िंदगी का अहम और ज़रूरी हिस्सा मानती हूँ | रोने के भी अपने फायदे है | [आँसू को लेकर मैने कई कविताये भी लिखी है |] रोने का सबसे बडा फायदा तो ये है आपके अन
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FB-215 "मंजिल का ये सफर नहीं हैं आसान लेकिन मेरे पैर भी तो नहीं हैं नादान || मंजिलो की ये पथरीली राहे हर पल तकती दुनियाँ की निगाहे || दुःखो की आँधी मुशकिलों के बवंडर इन सब से मुझे लगता नहीं हैं डर | परवाह हैं अपनो की इसीलिये , रखती हूँ हर कदम संभल संभल कर || आँखो में हैं सतरंगी सपने और लक्ष्य पर हैं ध्यान मंजिल का ये सफर नहीं हैं आसान ||
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लड़कियों को दिये जाने वाले ताने भी अजीब से होते है ...जैसे कि पढ रही हो तो अपने लिये पढ रही हो|या फिर .....जोब कर रही हो तो अपने लिये कर रही हो या करोगी | मुझे समझ नहीं आता कि लड़के पढाई और नौकरी दुसरो के लिये करते है क्या .....???? एक तरफ तो "बेटी बचाओ और बेटी पढाओ "की मुहिम चलायी जाती है दुसरी तरफ आगे बढ़ रही बेटियों के पंखो को कुतरने की कोशिश की जाती हैं | बहुत करीब से देखा और महसुस किया हैं इस भेदभाव को| लेकिन मुझे खुशी होती हैं जब मैं देखती हूँ कि तमाम भेदभाव ,मुशकिलो ,चुनौतियो और अभावों के बाद भी महिलाये अपने सपनों को पूरा करने के लिये प्रयासरत हैं | अपने आस पास स्वाभिमान से ओत प्रोत ,आत्म विश्वास से लबरेज महिलाओ को देखती हूँ तो खुशी होती हैं पर अफसोस ऐसी महिलाये बहुत कम हैं जो सही वक्त आने पर स्टीक जवाब देती हैं | अभी हाल ही में महिला world cup की उपविजेता टीम की कप्तान मिताली राज से एक प्रशन पूछा जाता हैं . . आपका पसंदीदा पुरूष क्रिकेटर कौन हैं ????? मिताली का जवाब बहुत शानदार था ......अगर ये ही प्रशन किसी पुरूष क्रिकेटर से महिला क्रिकेटर के
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"चलते -चलते ---2 चलती का नाम गाडी ......या चलना ही ज़िंदगी हैं .....या चलते चलते यूँ हीं ........ना जाने कितने गीत और किस्से इस " चलने " पर लिखे गये हैं | भाग दौड ,अस्त व्यस्त सी इस ज़िंदगी में चार कदम चलकर तो देखिये खुद के साथ | कभी धीरे धीरे टहलते हुए खुद से बाते करके तो देखिये | कृत्रिम सी हो चुकी ज़िंदगी में प्रकृति के सौन्दर्य को उतार कर तो देखिये ,कितने आनन्द की अनुभूति होती हैं |कभी महसुस करके तो देखिये सुबह हरी घास पर झूलती बूंदे जब आपके चरण स्पर्श करती हैं तो आपके मन को कितना सकुन मिलता हैं | सुबह के अंधरे को चीरती हवा का झोंका जब आपको नख से शिख तक स्पर्श करता हैं तो आपका रोम रोम खिल उठता हैं |आपको लगता हैं आपसे सुखी इंसान इस दुनियां में कोई नहीं | प्रकृति से निकटता आपके अन्दर की रचनात्मक क्षमता को बाहर लाती हैं |सचमुच प्रकृति के सानिध्य में रहकर अध्यात्म को जितने अच्छे से महसुस किया जा सकता हैं उतना कारगर और कोई तरीका नहीं हैं | अध्यात्म एक तरीका खुद को जानने का ,खुद की खोज करने का |इस दुनियां में आकर अगर खुद को ही नहीं जाना तो क्या जाना ????? ज़रा सोच
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अभी अभी एक सहेली का फोन आया ......| अरे यार अनिता एक बात बता?????? हमम्मं !!बोल ..... हमने ना अपने भाई की शादी के लिये एक लड़की देखी हैं गाजियाबाद में ?? तो?????? तो य़ार लड़की दो टूक कह दी ......लड़के में कुछ और हो या ना हो बस Attitude ज़रूर होना चाहिये | अरे यार ये आजकल की लड़की भी attitude पर मर जाती हैं ...मैने बुदबुदाते हुए कहा??? अच्छा !!उसका attitude से क्या मतलब हैं ???? मेरी सहेली ने पूछा ??? किससे पूछ रही ???? मुझे तो आज तक ये ही नहीं पता चला की smart लड़के होते कैसे हैं ????? (झुंड में आपस में खुसर खुसर कर लड़कियां पलक झपकते ही बता देती हैं फलां फलां लड़के में smartness का लेवल क्या है |मैं तो उनके मुंह को ताकते हुए ये पता करने का प्रयास करती हूँ कौन सा थर्मामीटर प्रयोग करती है ये लड़कियां जो तपाक से बता देती है कौन कितना smart है | सचमुच मुझे तो सब लड़के smart ही दिखते है |थोड़ा बहुत बात करके ये तो बता सकती हूँ फलां लडका कितना अच्छा या बुरा है but कितना smart है ये कहना मुशकिल होता है |) अच्छा भाई क्या करता है ???? मैने अपनी सहेली से पूछा ....
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"राह और मंजिल " मंजिलो की राहे होती है , क्या राहो की भी मंजिल होती है ??? अगर होती है ........!! तो राहें मंजिल तक पहुँचती क्यूँ नहीं ???? अगर नहीं होती तो......!! राहें चलती क्यूँ है ????? राह और मंजिल की मिलीभगत मुसाफिर को भ्रमित कर देती है | कभी हो जाती है मंजिल ओझल कभी बस राह ही राह नजर आती है ...| अगर राह को पता है मंजिल की दूरी ऐसी भी है क्या उसकी मजबूरी | मुसाफिर को वह बताती क्यूँ नहीं ??? किसी को मंजिल की तलाश है , किसी को राहों से आस है | ज़िंदगी में हर किसी को प्यास है | कोई थोड़ा खुश है ज़िंदगी में , तो कोई बहुत ज्यादा निराश है | `~~~~~~~~~अनिता पाल ~~~~~ #Anita Pal Sukhatri