"तलाश जीवन साथी की " "शादी फिक्स हो रही है पर लड़की /लडका मुझे ज्यादा पसंद नहीं है ||" जीवन साथी की तलाश कर रहे नौजवानो की ये प्रमुख समस्या है |.इस विषय पर मेरे विचार .... जूताऔर जीवन साथी अपने साइज का ही होना चाहिये .....अगर इनका साइज बडा हुआ तो आपको घसीटना पडेगा और साइज छोटा हुआ तो आपको दर्द देगा | रही बात खूबसुरती की .....आपके जूते बहुत खूबसुरत है सब उनकी तारीफ करते है ...पर वे ही जूते अन्दर आपके पैरों में घाव कर देते है आप बिल्कुल भी कमफर्टेबल नहीं है उन जूतो के साथ ....तो ऐसे जूते किस काम के .....| ये ही बात जीवन साथी पर लागू होती है .....हो सकता है किसी का जीवन साथी बहुत खूबसुरत हो और उसको पहली नजर में ही वो पसंद आ गया हो लेकिन अगर उनके विचार और दिल नहीं मिलते तो ये भी हो सकता है उसे उस सुन्दरता से नफरत हो जाये | ठीक इसका विपरीत भी हो सकता है . . .किसी का जीवन साथी बहुत साधारण सा हो परन्तु हो सकता है कि उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी हो कि एक दुसरे की सादगी में उन्हे खूबसूरती नजर आने लगे | कहने का तात्पर्य यह है कि शारीरिक सौंदर्य य़ा भौतिक सुविधा ख़ु
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"मेरा परिचय " एक पंक्ति में कहूँ तो अजूबा हूँ कर लो दुनियां मुट्ठी में , हर रोज इस ख्वाहिश के साथ जगती हूँ | नियम कानूनों को मानती हूँ ,रिश्ते नातों को निभाती हूँ छीनता है कोई मेरे अधिकार तो दुर्गा और काली बन जाती हूँ | मेहनत मैं दिल से करती हूँ ,हर वक्त व्यस्त रहती हूँ अपने काम से है बेहद प्यार | किताबों में बसते है मेरे प्राण || जीतने की ज़िद है ,इरादे है बुलंद चाहती हूँ आसमां में उडना स्वच्छंद | लगाये कोई मुझ पर बन्दिशे ,ये नहीं है पसंद इसीलिये अपनी सीमायें खुद तय करती हूँ | समाज में फैली बुराईयां मुझे आहत करती है राहों की मुशकिले मुझ में जोश भरती है | मुश्किलों में मैं और मजबूत बन जाती हूँ राह की दुश्वारियों में भी मैं मुस्कुराती हूँ खुशियों के गीत हर पल गुनगुनाती हूँ || ~~~~~~~अनिता पाल ~~~~~~ #
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FB-32 "मैं नारी हूँ " चुप रहूँ तो घमंडी हूँ . बहुत बोलूँ तो तेज तर्रार हूँ | ना कह दूँ तो अक्खड हूँ , इगनोर करूँ तो भोली हूँ | ज़माने ने कुछ यूँ ही तोली हूँ | क्यूँकि मैं एक लड़की हूँ || जानती हूँ मैं अपनी मर्यादा , ना सिखाओ तुम मुझे ज्यादा | माना कि मैं कोमल हूँ , लेकिन कमजोर नहीं | इतनी भी कच्ची डोर नहीं , मुझे गर्व हैं खुद पर कि मैं नारी हूँ , अपने अधिकारों की अधिकारी हूँ || ~~~~~~अनिता पाल ~~~~~
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२५० प्रेम में ठगी गयी और ससुराल में सतायी गयी लड़कियों मेरी बात ध्यान से सुनो ...... "बिन्दिया चमकेगी ,चुडियां खनकेगी ...... ............................... ये गाना तुम सबने ना जाने कितनी बार सुना और गुनगुनाया होगा |इस गाने की एक पंक्ति कुछ यूँ है ...... " हमने तुम से मुहब्बत की है ,गुलामी नहीं की बलमा " प्रिये मैं ये नहीं कह रही कि प्रेम में समर्पण या ससुराल के लिए किया गया त्याग गलत है | मैं बस इतना कहना चाहती हूँ जहां तुम्हारी कोमल भावनाओं का कत्ल किया ज़ाये ,आपकी आत्मा पर प्रहार किया ज़ाये , वहां गुलामी की बेडियों को तोड बन्धनमुक्त होना ही अच्छा है | आप एक महिला बाद में उससे पहले आप एक इंसान है | इसीलिये निराशा ,हताशा को छोड कर अपना उदविकास कीजिये ,अपनी आंतरिक शक्तियो का विकास कीजिये | आत्महत्या जैसे विचार आपको शोभा नहीं देते | दुख को सहने की तुम्हारी क्षमता असीमित है और इसी क्षमता में छुपा है अनंत ऊर्जा का श्रोत है | अपने अबला होने का भ्रम मन से निकाल दीजिये|मन के जीते जीत है, मन के हारे हार #Anita Pal Sukhatri
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आप दैनिक ,साप्ताहिक य़ा मासिक समय सारणी बनाते है | उतना कार्य जो आपने सप्ताह में करने के लिए निर्णय लिया था उतना नहीं कर पाते | छानबीन करने पर पता चले कि उस कार्य को समय से पूरा ना कर पाने की वजह सिर्फ आपकी लापरवाही है |तो स्वयं पर खीझ होना स्वाभविक है| अक्सर यह खीज फेस बुक और व्हाटसप जैसे समय खपाऊ साधनों पर उतरती है इनको अनस्टाल और निष्क्रिय करके मन को समझाने का प्रयास किया जाता है | आप अपने समय को लेकर सचेत है ,समय के मूल्य को भलीभांति जानते है ये खीज इस बात का संकेत है अर्थात ये शुभ लक्षण है घबराने की /निराश होने की ज़रुरत नहीं थोड़ा हिम्मत से काम ले इस खीज को जूनून में बदलने की ज़रुरत है आपका काम आसान हो जायेगा | सचमुच ज़िन्दगी बहुत अनुशासित और पाबन्द होती है गया समय लौटकर नहीं आता है .....ज़िन्दगी की किताब का एक एक पन्ना आपकी आँखो के सामने खुलेगा ....कुछ ऐसा करो कि उनको पढना सुखद हो आपके लिए भी और औरो के लिए भी |कुछ ऐसा करो कि आपका संघर्ष दूसरो को प्रेरित कर सके तभी आपके जीवन के कुछ मायने है .......इस धरती पर आकर गुमनाम ज़िन्दगी जीना और चले जाना कोई उद्देश्य नहीं है
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FB-19 "कुछ जिन्दगी ऐसी भी " ठंड से बचने के लिये अच्छे से पैक हो घर से निकली ,कुछ दूर चलने पर पीछे से इन नन्ही सी प्यारी सी बच्चियों को चप्पल पहने देख हाथ जैकेट से बाहर निकाले और महसूस किया कि ठंड इतनी भी नहीं हैं ...... बच्चियों से ......अरे आप लोग सुबह सुबह???? ....बहुत प्यारी प्यारी हो तुम तो .....क्या नाम है तुम्हारा ??? जवाब मिला नेहा ....अरे वाह नेहा तो मेरी सहेली का भी नाम है ....तुम्हारी जैकेट तो मेरी जैकेट जैसी है (प्रपल कलर की जैकेट वाली लड़की से ) मेरे इतना कहने से वो थोड़ा शरमा गयी | चलो आपकी एक फोटो खिचती हूँ .....मेरे इतना कहते ही .... उन सब ने अपना झोला नीचे रख दिया .....और दुपट्टा सही करने लगी ....इस समय उनके चेहरे की मुस्कान और खुशी देखने लायक थी ...अरे नहीं झोले के साथ में ही फोटो लेते है ....मेरे कहते ही उन्होने फिर झोला उठा लिया ....... मैं .....दूसरी लड़की से ....बेटा आपका नाम क्या है ....गुलिस्ता उसने शरमाते हुए हंसकर कहा ....बाकी 2 लड़कियां नाम पूछने पर बहुत शरमा गयी और नीची नजर कर बस हंस दी ... बेटा आप स्कूल नहीं जाते???? जाते है उनमें से एक बोली
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३३८ सोलिड बेइज्जती 😂😂😂 पोछे की बाल्टी लिये अभी ड्राइंग रूम में प्रवेश किया ही था कि घर के एक बच्चे ने व्यंग्य कसा . ........ रोज़ तो ऐसे बन ठन के कालेज जाती है . ....और आज पोछा .. घर पर ऐसे रहती हो .....अजीब से कपडे ...बालों में एक किलो तेल ...!!!आपके स्टूडेंटस को लगता भी नहीं होगा ...आप घर में पोछा भी लगाती है | मैं -----अच्छा तुम्हे क्या लगता है ....तुम्हारी टीचर घर पर भी टिपटोप रहती है ????? संडे को तो तुम्हारी मैडम भी झाडू पोछा करती होगी || और तुम्हारी मैडम के तो बच्चे भी होंगे ?? हाँ हमारी मैडम के बच्चे छोटे ही है तब तो वो अपने बच्चों की पोटी भी धोती होंगी ?? इतना सुनते ही बच्चे ने अजीब सा मुंह बनाया और तब से ही गंभीर चिंतन में है |😂😂😂😂😂. #मेरा_सुपरपावर
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३३६ बेटी बचाओ,बेटी पढाओँ स्नातक की दो छात्रायें ---मे आई कम इन मैम ??? मैं ----; हाँ बेटा अन्दर आ जाइये | मेरे इतना कहने के बाद भी दोनों छात्राये थोड़ा झिझकी | मैं समझ गयी कुछ व्यक्तिगत समस्या है | अपने सहकर्मी से हो रही बातों को रोककर मैं स्टाफ रुम से बाहर आ गयी | हाँ बेटा ......क्या बात है ?? मैम आपसे एक फेवर चाहिए ??? हाँ हाँ क्या बात है खुलकर कहिये .....मैने उनको आश्वस्त करते हुए कहा | मैम मैं रोज़ कॉलिज आना चाहती हूँ .....लेकिन मेरे भाई को लगता है कि कालेज में पढाई नहीं होती |आप एक बार भईया को फोन कर देंगी | हाँ हाँ .......आप भाई का नम्बर दे दीजिए मैं बात कर लेती हूँ | मैने लडकी के भाई को फोन किया ....और बताया की मैं कालेज से बात कर रही हूँ .....और छात्रा को नियमित कालेज भेजने का आग्रह किया | भाई की बातों में मजबूरी ,बेबसी और ज़माने का ड़र की झलक मिली | मैम आपको तो पता ही है ज़माना कितना खराब है ??? मैं इसको खुद छोडने और लेने जाता हूँ | इसीलिये ये कभी कभी ही कालेज आती है |काफी देर बातचीत के बाद वो बोले मैम दो तरीके है कि .... एक तो ये कि य़े खुद कालेज आ जाये दुसर
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FB-15 मेरी डायरी दुनियां कहे मैं दुरंगी पल में पलटी जाऊँ सुख में जो सोये रहे उनको दुखी बनाऊं | जी हाँ ,सुख में सब साथी होते हैं .....लेकिन क्या करें उन दिनों में जब आप अकेले हो ,कनफयूज़ हो ,कुछ समझ नहीं आ रहा हो ,आगे बढने का कोई रास्ता नहीं नज़र आ रहा हो ,रोने का मन हो और आप रो भी नहीं पा रहे हो ....इस समय आपकी दोस्त बन सकती हैं ....आपकी डायरी ... ऐसे समय में आप एक काम करिये ......अपनी डायरी उठाईये ....जो भी आपके दिल और दिमाग में चल रहा हैं जो भी आपकी मानसिक स्थिति हैं उसको हुबहु डायरी से साझा कर डालिये ....इसके दो लाभ होंगे .... (1) तात्कालिक लाभ .......आपका मन हल्का हो जायेगा और कुछ देर पहले तक जो आपका दिमाग काम नहीं कर रहा था .....उसके पास एक से बढकर एक विचार होंगे जो आपको आगे बढने का मार्ग दिखायेंगे | (2)दीर्घकालिक लाभ ----- भविष्य में जब भी आप अपनी इस डायरी को पढेंगे तो खुद पर गर्व करेंगे ,और शायद आपको यकीन भी न हो की ये आपकी डायरी हैं ....आपको लगेगा की आप कोई फिक्शन पढ़ रहे हैं | ( ये मेरे अपने विचार और अनुभव हैं .....किसी पर थोपने का प्रयास नहीं ....अ