"ना परवा हैं ,ना पछुआ हैं 

चली आज ये कौन  सी हवा हैं !

दुख का बादल हैं ,नैनो का नीर हैं ,

दिल में आज अजीब सी पीर हैं !

सहमी सहमी  सी हैं ये  धरती ,

आसमाँ भी मौन  हैं !!

ज़िन्दगीं की इस नाव का खिवैया कौन हैं !!

अनिता  पाल

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