आंखे

आँखे "


ज़िंदगी की खुशियों को चुनती हैं ,

हर रोज नित नये सपने बुनती हैं  'आँखे '|

जिन्दगी को बिखरते और संवरते देखती हैं ,

एक पल रोती हैं तो अगले ही पल  हँस देती हैं  ' आँखे '|

यूँ तो हमेशा ही प्यार लुटाती हैं ,

पर कभी कभी नफरत भी जताती हैं  'आँखे '|

दिल की बात को चुपके से कह देती है ,

पर कभी कभी बहुत कुछ छुपाती हैं 'आँखे '|

आँसू और मुस्कान दोनों को पालती हैं ,

सच कहूँ तो जिन्दगी को संभालती हैं 'आँखे '

~~~~~~~अनिता  पाल ~~~``~~~~


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ख्याल और ख्वाब